पेंशन
पेंशन प्राप्त करने की पात्रता के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 10 वर्ष है। केंद्रीय सरकार का कोई कर्मचारी जो पेंशन नियमावली
के अनुसार सेवानिवृत्त होता है, वह न्यूनत्तम 10 वर्ष की अर्हक सेवा पूर्ण करने पर अधिवर्षिता पेंशन प्राप्त करने का हकदार है।
कुटुंब पेंशन के मामले में सरकारी कर्मचारी की विधवा अपने पति की एक वर्ष की निरंतर सेवा पूरी करने के बाद या एक वर्ष से पूर्व भी, यदि सरकारी सेवक का उपयुक्त चिकित्सा अधिकारी द्वारा चिकित्सीय परीक्षण करने के बाद, उसे सरकारी सेवा के योग्य घोषित किया गया हो, मृत्यु होने पर पेंशन पाने की हकदार है।
01.01.2006 से पेंशन की गणना, औसत परिलब्धियों, नामत: सेवा के विगत 10 महीनों के दौरान मूल वेतन का औसत या अंतिम मूल वेतन, जो भी अधिक हो, के आधार पर की जाती है। 10/20 वर्ष की अर्हक सेवा के साथ पूर्ण पेंशन औसत परिलब्धियों या अंतिम मूल वेतन, जो भी अधिक हो का 50% है। 01.01.2006 से पूर्व, 33 वर्ष से कम की अर्हक सेवा के अनुपात में होती थी। उदाहरण के लिए, यदि कुल अर्हक सेवा 30 वर्ष और 4 माह है। (अर्थात: 61 अर्धवर्ष) तो पेंशन की गण्ना निम्नवत् की
पेंशन राशि = आर/2(X) 61/66
जहाँ आर, अंतिम 10 माह की अर्हक सेवा की औसत परिलब्धियों से अभिप्रेत है।
इस समय, न्यूनतम पेंशन 3500/- रु. प्रतिमाह है। पेंशन की अधिकतम सीमा, भारत सरकार में उच्चतम वेतन (वर्तमान में 45,000/- रु.) का 50% प्रतिमाह है। पेंशन, मृत्यु के दिन सहित तक देय है।
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पेंशन का संराशीकरण
केंद्रीय सरकार के कर्मचारी को दिनांक 01.01.1996 से अपने पेंशन के एक भाग के संराशीकरण, जो 40% से अधिक न हो, के एकमुश्त भुगतान का विकल्प उपलब्ध है। यदि सेवानिवृत्ति के एक वर्ष के भीतर इस विकल्प का उपयोग किया जाता है, तो किसी चिकित्सीय परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। यदि एक वर्ष के बाद इस विकल्प का प्रयोग किया जाता है, तो उसे विनिर्धारित सक्षम अधिकारी द्वारा चिकित्सीय परीक्षण करवाना होगा।
देय एकमुश्त राशि की गणना जन्मांकित आधार पर तैयार की गई संराशी सारणी के आधार पर की जाती है। मासिक पेंशन में से संराशीकृत भाग घटा दिया जाएगा और पेंशन के संराशीकृत राशि प्राप्त होने की तिथि से 15 वर्षों के बाद संराशीकृत भाग को पुन: जोड़ दिया जाएगा। हालांकि, मंहगाई राहत की गणना, मूल पेंशन के आधार पर (अर्थात् संराशीकृत भाग को घटाए बिना) की जाती रहेगी।
पेंशन के संराशीकृत मान (सी वी पी) की गणना का सूत्र है-
सी वी पी = 40% (X) संराशीकरण गुणांक* (X) 12
*संराशीकरण गुणांक, इस विभाग के दिनांक 02.09.2008 के कार्यालय ज्ञापन सं. 38/37/08-पी एंड पी डब्ल्यू (ए) के अनुलग्नक के रूप में नई तालिका के अनुसार, संराशीकरण पूर्ण होने की तिथि की अगली जन्मतिथि के आधार पर निर्धारित होगा।
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मृत्यु/सेवानिवृत्ति उपदान
सेवानिवृत्ति उपदान
यह सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारी को देय है। एक बार एकमुश्त लाभ प्राप्त करने के लिए न्यूनतम 5 वर्ष की अर्हक सेवा और सेवा उपदान/पेंशन प्राप्त करने की पात्रता अनिवार्य है। पूरी की गई प्रत्येक छह माह की अवधि सेवानिवृत्ति उपदान की गणना सेवानिवृत्ति से पूर्व मूल मासिक वेतन के एक-चौथाई और आहरित मंहगाई भत्तो के योग के आधार पर की जाती है। उपदान धनराशि की कोई न्यूनतम सीमा नहीं है। सेवानिवृत्ति उपदान, परिलब्धियों के 16½ गुना देय है, किंतु अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए है।
मृत्यु उपदान
यह सीपीएफ लाभार्थियों सहित सेवाकाल के दौरान स्थायी, स्थायीवत् या अस्थायी सरकारी-कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी विधवा/विधुर को एक बार देय एकमुश्त लाभ है। इसके लिए मृतक कर्मचारी द्वारा कोई न्यूनतम सेवा अवधि निर्धारित नहीं की गई है। मृत्यु उपदान की हकदारी निम्नवत् है:
अर्हक सेवा
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दर
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एक वर्ष से कम |
परिलब्धियों का 2 गुना |
एक वर्ष या अधिक किंतु 5 वर्षों से कम |
परिलब्धियों का 6 गुना |
5 वर्ष या अधिक किंतु 20 वर्षों से कम
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परिलब्धियों का 12 गुना
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20 वर्ष या अधिक
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पूरी की गई प्रत्येक 6 माह की अर्हक सेवा की परिलब्धियों का आधा, बशर्ते अधिकतम परिलब्धियों का 33 गुना है।
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दिनांक 01.01.2006 से मृत्यु उपदान की अधिकतम धनराशि 10 लाख रुपए निर्धारित की गई है।
सेवा उपदान
यदि सेवानिवृत्ति होने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की कुल अर्हक सेवा 10 वर्ष से कम है, तो वह सेवा उपदान पाने का हकदार होगा (पेंशन नहीं)। यह देय राशि, पूर्ण किए गए प्रत्येक छह माह की अवधि के लिए अंतिम आहरित मूल वेतन के आधे के बराबर होगी। इसके लिए कोई न्यूनतम या अधिकतम धनराशि की सीमा नहीं निर्धारित की गई है। एक बार एकमुश्त दिया जाने वाला यह भुगतान, सेवानिवृत्ति उपदान से अलग है और उसके अतिरिक्त दिया जाता है।
अदेयता (बेबाकी) प्रमाण पत्र जारी किया जाना
कार्यालयाध्यक्ष द्वारा, सेवनिवृत्ति से 2 माह पूर्व सेवानिवृत्ति होने वाले कर्मचारी पर सरकारी आवास का लाइसेंस शुल्क, अग्रिम वेतन एवं भत्तों के अधिभुगतान के रूप में बकाया का आकलन करना होता है, और लेखा अधिकारी को सूचित करना होता है, ताकि भुगतान किए जाने से पूर्व सेवानिवृत्ति उपदान से इनकी वसूली की जा सके। इस प्रयोजन के लिए सरकारी आवास में रहने वाले कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति के उपरांत नियमानुसार सामान्य किराया पर आवास बनाए रखने की स्वीकृत अवधि तक लाइसेंस शुल्क का आकलन किया जाता है। इस अवधि के उपरांत लाइसेंस शुल्क वसूलने की जिम्मेदारी संपदा निदेशालय की है। यदि किसी कारणवश समय से बकाया का आकलन नहीं किया जा सकता है, तो उपदान की 10% राशि रोक ली जाती है।
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सामान्य भविष्य निधि और प्रोत्साहन राशि
सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवा) नियमावली, 1960 के अनुसार एक वर्ष की निरंतर सेवा के उपरांत सभी अस्थायी सरकारी कर्मचारी पुन: नियुक्त सभी पेंशनभोगी (अंशदायी भविष्य निधि के जिए पात्र पेंशनभोगियों को छोड़कर) और सभी स्थायी सरकारी कर्मचारी इस निधि में अंशदान करने के पात्र हैं। अंशदाता की निधि में अंशदान की शुरुआत करते समय, निर्धारित प्रपत्र में एक नामांकन करना होता है, जिसमें वह एक या अधिक व्यक्तियों को अपनी मृत्यु के उपरांत उस निधि के खाते में जमा देय धनराशि या भुगतान नहीं की गई राशि को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। अंशदाता को अपनी निलंबन की अवधि को छोड़कर भविष्य निधि में मासिक अंशदान करना होता है। अधिवर्षिता की तिथि से 3 माह पूर्व भविष्य निधि में अंशदान बंद कर दिया जाता है । न्यूनतम अंशदान की दर अंशदाता की कुल परिलब्धियों का 6% और अधिकतम कुल परिलब्धियों के बराबर होगी। 01.04.2009 से सामान्य भविष्य निधि में जमा राशि पर ब्याज की दर 8% वार्षिक चक्रवृध्दि है और यह दर सरकारी अधिसूचना के अनुसार बदलती है । किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजना के लिए निधि से अग्रिम/निकासी के बारे में नियमावली में उल्लेख किया गया है।
जमा आधारित संशोधित बीमा योजना
सामान्य भविष्य निधि नियमावली के तहत, अंशदाता की मृत्यु होने पर, अंशदाता के खाते में जमा धनराशि को प्राप्त करने वाले अधिकृत व्यक्ति को अंशदाता की मृत्यु के ठीक पहले 3 वर्षों की अवधि के दौरान औसत शेष धनराशि के बराबर अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाएगा, बशर्ते संबंधित नियमों की विनिर्देष्ट शर्ते पूरी होती हों। उस नियम के तहत दी जाने वाली अतिरिक्त धनराशि 60,000/- रु. से अधिक नहीं होगी। इस लाभ को प्राप्त करने के लिए अंशदाता द्वारा अपनी मृत्यु के समय न्यूनतम 5 वर्ष की सेवा पूरी कर ली होनी चाहिए।
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अंशदायी भविष्य निधि
अंशदायी भविष्य निधि नियमावली (भारत), 1962, राष्ट्रपति के नियंत्रणाधीन किसी भी सेवा के गैर-पेंशनभोगी सरकारी कर्मचारी पर लागू होती है। उस निधि में अंशदान की शुरुआत करते समय अंशदाता को निर्धारित प्रपत्र में नामांकन करना होता है, जिसमें वह अपनी मृत्यु होने पर एक या अधिक व्यक्तियों को अपने खाते में जमा राशि देय होने से पूर्व या जिसका भुगतान नहीं किया गया हो, की प्राप्त करने के लिए अधिकृत करता है।
अंशदाता को डयूटी पर या विदेश सेवा में रहते हुए मासिक अंशदान करना होता है, किंतु निलंबन की अवधि के दौरान नहीं। अंशदान की दर परिलब्धियों की 10% से कम, एवं कुल परिलब्धियों से अधिक नहीं होगी। अंशदाता के नियोक्ता का अंशदान जमा किया जाएगा और यह 10% है। 01.04.2009 से ब्याज की दर 8% वार्षिक चक्रवृध्दि दर से है। इस नियमावली में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए अंशदायी भविष्य निधि नियमावली की तरह अंशदायी भविष्य निधि नियमावली में भी जमा आधारित संशोधित बीमा योजना का प्रावधान है।
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छुट्टी का नकदीकरण
केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियमावली के तहत छुट्टी के नकदीकरण का लाभ है, पेंशन संबंधी लाभ नहीं। सेवानिवृत्ति के दिन सेवानिवृत्ति होने वाले सरकारी कर्मचारी के खाते में जमा अर्जित छुट्टी/अर्ध-वेतन छुट्टी का नकदीकरण किया जा सकता है, बशर्ते यह अधिकतम 300 दिनों का है। छुट्टी के नकदीकरण में विलंब के लिए उस नियमावली के तहत किसी ब्याज के भुगतान का प्रावधान नहीं है।
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केंद्रीय सरकारी कर्मचारी समूह बीमा योजना
सेवा के दौरान मासिक अंशदान के एक भाग को बचत निधि में जमा किया जाता है, जिस पर ब्याज देय है। सेवा ग्रहण करते समय सरकारी कर्मचारी को उपर्युक्त योजना के प्रपत्र 4 में कार्यालयाध्यक्ष को आवेदन करना होता है, जो अंशदाता द्वारा जमा की गई राशि को ब्याज सहित बचत निधि में भुगतान हेतु स्वीकृति पत्र जारी करेगा, और सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद उसके वितरण की व्यवस्था करेगा। इस योजना के तहत किया जाने वाला भुगतान लाभ तालिका के आधार पर किया जाता है, जिसमें सेवा समाप्ति के दिन तक के ब्याज का आकलन किया गया है। इस योजना के तहत अंशदाता की मृत्यु होने पर परिवार को बीमा का लाभ मिलता है। इस योजना के तहत किए जाने वाले भुगतान में विलंब के लिए किसी भी ब्याज का भुगतान देय नहीं है।
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